कलियुग की 6 भविष्यवाणिया जो आज सच साबित हो रही है आप इस लेख को पूरा पढ़ेंगे तो जानेगे की हमारे वेदो और पुराणों में जो भी भविष्यवाणी की गयी है वो सब आज सच साबित हो रही है।

लक्षण 1 : – कमजोर बुद्धि एवं कमजोर शरीर

श्रीमद भागवतम के 12 स्कन्द, चैप्टर 2 में यह लिखा है की भविष्य में मनुष्य की आयु कमजोर शरीर के चलते कम होती जाएगी। आज हम देखते है की मेडिकल विज्ञान की तरक्की के बावजूद भी कोई विरला ही 100 वर्ष की आयु तक पहुँचता है, आज कल तो 65 – 70 वर्ष की उम्र तक पहुँचना भी मुश्किल है जबकि पिछली पीढ़ी और पूर्वजो से हम सुनते आये है की पहले के लोग किस तरह 90 100 साल तक की आयु तक स्वस्थ रहते थे।

क्या है कारण ?
अप्राकृत खान पान – विज्ञानं की अत्यधिक तरक्की से नदियों और वातावरण मैं प्रदूषण –
जानवरो की हत्या। वैदिक रीती रिवाजो का त्याग, वैदिक कृषि का त्याग और पेस्टिसाइड फ़र्टिलाइज़र का इस्तमाल I

कम होती बुद्धि

इसी तरह से स्मार्ट फ़ोन – मोबाइल और इलेट्रॉनिक यंत्र के कारण हम सब की निर्भरता इन्ही उपकरण पर होती जा रही है, और हम अपनी स्मरण शक्ति का उपयोग आज कल कुछ कम ही करते है याद कीजिए वो दौर जब बिना मोबाइल के ही आपको अपने दोस्त के 10 -20 नंबर याद होते थे। पर क्या आपको आज एक भी नंबर याद है कुछ लोगो को तो अपना खुद का नंबर भी याद नहीं होता है । लगता है की ये भविष्यवाणी सच हो रही है

लक्षण 2 -सबसे बड़ा रूपया

ये तो आप ने सुना ही होगा लोगो के कहते हुए की ‘बाप बड़ा न भईया -सबसे बड़ा रूपया’ इसकी भी भविष्यवाणी श्रीमद भगवतम के 12 स्कन्द के 2 श्लोक में हुआ है। जिसके अनुसार जिस – किसी के पास धन -सम्पति और पैसा होगा वो व्यक्ति इस कलयुग दुनिया में सफल – महान – नेता माना जायेगा चाहे फिर उसका करैक्टर कैसा भी हो।

कारण
: स्कूलों में से धार्मिक शिक्षा का खत्म हो जाना , गुरुकुलों का खत्म हो जाना , हिन्दुओ को गीता- धार्मिक किताबों का न पढ़ना। धन -पैसा – और सम्पति को सब कुछ समझना।

प्रभाव

बढ़ते हुए अपराध ,खत्म होती मानवता , बढ़ती हुई आत्महत्या आदि इस से जुड़े हुए अन्य कारण है जो की आज हमें नज़र आते है।

लक्षण 3 – कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पे !

कलियुग में अजीब रिश्ते की कहानी हम रोज सुनते है। इन अजीब रिश्तो की बात भी हमारे प्राचीन ग्रंथो ने की है उन्होंने पांच हज़ार वर्ष पूर्व ही कह दिया था की कलियुग में पुरुष और स्त्री का रिश्ता केवल ऊपरी अट्रैक्सशन (आकर्षण ) पर आधारित होगा। तो हम आज देखते है की किस तरह से आज बॉयफ्रेंड और एक नयी गर्लफ्रेंड हर हफ्ते बदल जाती है। ये सब लिव इन रिलेशनशिप में रहते है लेकिन सामाजिक जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है।

कारण

आध्यात्मिक वातावरण कृष्ण भक्ति का अभाव। आध्यत्मिकता के अभाव से रिश्तो की बुनियाद सिर्फ सेक्स तक सीमित । कुत्ते और बिल्ली की तरह जीवन यापन। कुत्ते बिल्ली जैसे बच्चों को जन्म देना जो सिर्फ – खाना -पीना- सुरक्षा और सेक्स के लिए ही जीवन जीते है। और इन सब का कारण है वर्णाश्रम सभ्यता का विनाश जिससे वर्णसंकर जनसंख्या का विस्तार हो चुका है ।

प्रभाव
रिश्तों का कोई उद्देश्य नहीं, रिश्तों में बढ़ता तनाव और तलाक , अवैध सम्भंदो में बढ़ोतरी और इससे समाज में बढ़ती कलह

लक्षण 4 – गन्दा है पर धंधा है ये
जी हां कलियुग की वर्तमान स्तिथि इसी से प्रभावित है लेकिन क्या आप जानते है ये भी श्रीमद भागवतम के श्लोक सख्या 12. 3 में आपको मिल जाएगा। जंहा पर लिखा है यानी व्यापार की सफलता कपट पर निर्भर होगी “माया एव व्यवहारिके ” आज नीरव मोदी , विजय मालिया और बैंकिंग छल के केस ये समझने के लिए काफी है की श्रीमद भगवतम की ये भविष्यवाणी भी सच हो चुकी है।

कारण

परपरा से आये हुए आध्यात्मिक गुरु जैसे श्रील प्रभुपाद , रामानुचार्य , माधवाचर्य आदि की शिक्षाओ का अभाव। सनातन धर्म के ग्रंथ यथा भगवद गीता और भागवतम से लोगो का दूर हट जाना। नास्तिकवाद और भौतिकवादी सभ्यता।

प्रभाव
लोगो के साथ धोकेबाजी – धन कमाने के लिए कपट -झूट और धोखा देना। ईमानदार व्यक्ति का पीछे रह जाना। समाज में असंतुष्टि फैल जाना इत्यादि

लक्षण 5 – धोखेबाज साधुओं का माया जाल

कलियुग के अंदर लोग ऊपरी तौर से जो साधु जैसा दिखेगा और जो बात करने में चपल होगा। जो भगवा पहन कर या लम्बी दाढ़ी रख कर चिकनी -चुपड़ी बाते करेगा उसको लोग आध्यत्मिक मान लेंगे । जो लोगो को सच न बता कर चिकनी चुपड़ी या चुटकुले सुनाएगा लोग ऐसे साधु को सुन कर उसका अनुसरण करेंगे और जो भगवद गीता – बर्ह्मचर्ये – पुराणों से गंभीर शिक्षा देगा लोग उसको नहीं सुनेगे। असली साधु जब लोगो से मिलेगा तो उन्हें बताएगा की अवैध सम्बन्ध मत बनाओ तो लोग उसका मजाक उड़ायेंगे या फिर उसे पुराने विचारो वाला बोलेंगे । असली साधू बोलेगा नशा मत करो – तो भी लोग उसकी बातो का उपहास करेंगे और यूट्यूब का चैनल चेंज कर देंगे। जब असली साधू बोलेगा की जुआ मत खेलो तो लोग बिज़नेस कह कर रमी आदि गेम डाउनलोड करेंगे। तो जो सिर्फ उनके मन के हिसाब से चकनी चुपड़ी बाते करेगा लोग उसे ही आध्यात्मिक व्यक्ति मान लेंगे ।

कारण
भगवान कृष्ण की शिक्षाओ के विरुद्ध चल कर किसी को भी साधू मान लेना – भगवान कृष्ण ने गीता मैं कहा है एवं परम्परा प्रप्ति अर्थार्त ये ज्ञान परम्परा से प्राप्त होता है। लेकिन लोग परम्परा की इस विधि का आज पालन नहीं करते है और किसी की भी सुनते है। इसलिए धोकेबाज साधु बढ़ते जायेगे।

प्रभाव

असली ज्ञान से लोग वंचित हो जायेंगे। जीवन का असली गोल क्या है ये भी भूल जायेंगे। बेचैन मन , बेचैन व्यक्तित्व के कारण अशांति से उनका समय करेगा।

लक्षण 6- धाम यात्रा नहीं काम यात्रा

याद है न कुछ वर्ष पूर्व केदनरनाथ में भयंकर बाढ़ आयी थी। उसका कारण यह भी था की आज कल लोग धाम यात्रा पर कम और काम यात्रा पर ज्यादा जाते है। आज हरिद्वार में लोग गंगा पूजन के लिए कम और वाइट वाटर राफ्टिंग के लिए ज्यादा जाते है। और कमाल की बात ये है की
12 . 6 श्लोक संख्या में इसकी भविष्यवाणी की गयी है की कलियुग मैं लोग धाम यात्रा केवल मनोरंजन के लिए करेंगे उनकी इस यात्रा का उद्देश्य आध्यात्मिक ज्ञान नहीं बल्कि केवल मनोरजन करना होगा।

कारण
परम्परागत आध्यात्मिक शिक्षक के अभाव में लोगो के अंदर धार्मिक स्थलों की महत्ता के बारे में अज्ञानता।

प्रभाव
हरिद्वार जैसी पवित्र स्थानों पर शराब , और पार्टी से पूरा आध्यात्मिक वातावरण को नुक्सान और प्रकृति के संतुलन बिगड़ने से आपदाओं को निमंत्रण।

श्रीमद भागवतम और हमारे ग्रन्थ कलियुग के असभ्य समाज की प्रगति के बारे में चेतावनी देता है। लेकिन फिर भी कलियुग को महान बताया गया क्योकि इस युग सिर्फ नाम संकीर्तन के दवरा कल्याण हो सकता है। बृहन्नार्दीय पुराण में इसका वर्णन आता है की “हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव केवलं| कलौ नास्त्यैव नास्त्यैव नास्त्यैव गतिरन्यथा” यानी की केवल हरी का नाम ही कलियुग में सर्वश्रेठ यग है। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे इस मन्त्र जप से हम कलियुग का प्रभाव खत्म कर सकते है।

 

 

 

 

 

 

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