भारत एकमात्र ऐसी जगह है, जहाँ आध्यात्मिक ज्ञान के साथ साथ पारंपरिक शैली और अनेक उत्सवों का समागम है। हालाँकि, यह भी सत्य है कि, भारत की मूल संस्कृति और परंपरा धीरे धीरे प्रायः लुप्त होती जा रही है। वह अपना विकृत मनगढंत रूप ले रही है। जैसे, अभी नवरात्रि में देवी पूजा की आड़ लेकर गरबा में पुरूष-स्त्री के अवैध संबंधों को ओर बढ़ावा दिया जा रहा है। क्या नवरात्रि उत्सव में दुर्गा जी की पूजा का वास्तविक प्रयोजन यही है ? नवरात्रि अर्थात नौ रातों में माया देवी या दुर्गा देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा देवी के वास्तविक स्थिति का वर्णन श्री ब्रह्माजी ने बहुत ही विस्तार से श्री ब्रह्म संहिता के अध्याय 5 के 44 श्लोक में बताया है। श्रीब्रह्माजी, श्री भगवान श्री कृष्ण की प्रार्थना करते हुए कह रहे हैं :―
“सृष्टिस्थितिप्रलयसाधनशक्तिरेका, छायेव यस्य भुवनानि विभर्ति दुर्गा। इच्छानुरूपमपि यस्य च चेष्टते स, गोविन्दमादिपुरुष तमहं भजामि।। ”
अर्थात- “भौतिक जगत् की सृष्टि, स्थिति एवं प्रलय की साधन कारिणी, चित् शक्ति की छाया स्वरूपा माया शक्ति, जो कि सभी के द्वारा दुर्गा नाम से पूजित होती हैं, जिनकी इच्छा के अनुसार वे चेष्टाएँ करती हैं, उन आदिपुरुष भगवान् गोविंद का मैं भजन करता हूँ।” सारांश यह है कि दुर्गा देवी भगवान की बहिरंगा (माया) शक्ति हैं और वो भगवान की आध्यात्मिक (चित्त) शक्ति की छाया है। वो भगवान हरि की इच्छा के अनुरूप कार्य करती है। वह इस भौतिक जगत की स्वामिनी है और इस भौतिक जगत को दुर्गा धाम अर्थात देवी धाम के नाम से जाना जाता है। उनका कार्य इस भौतिक जगत में बद्ध आत्माओं (पतित आत्माओं) को संयोजित करके रखना है। जो लोग भौतिक वर जैसे- धन, यश, सुंदरता आदि अस्थायी चीजों को प्राप्त करना चाहते हैं, वह दुर्गा माता, चामुंडा, काली माता, पार्वती देवी आदि देवी स्वरूपों की पूजा करते हैं। परंतु आज इस चकाचौंध आधुनिकता में भारतीय लोगों ने पूजा एवं भक्ति को बहुत सस्ता समझ लिया है। नवरात्रि के अवसर पर हो रहे तथाकथित गरबा रास उत्सव ने नवरात्रि की गरिमा को झकझोर के रख दिया है। अधिकांशतः युवक-युवतियों ने नवरात्रि को अपने काम-वासना की संतुष्टि का माध्यम बना लिया है।
इसलिए हर भारतीयों को अपनी विवेक बुद्धि से सोचना और समझना चाहिए कि वास्तविक भक्ति एवं पूजा क्या है। और ऐसे बड़े बड़े गरबा उत्सव में न जाकर उसका बहिष्कार करना चाहिए। जब कोई मंदिर में शिवजी को दूध अर्पित करता है, तो आपको विचार आता है कि इसे किसी भिखारी को पिलाना चाहिए। परंतु वहीं ऐसे बड़े बड़े गरबा आयोजनों में, सिनेमा थियटरों में जाकर 500-1000 रूपये बरबाद करते वक्त आपको यह विचार नहीं आता है। आज भारत का युवा किस दिशा में जा रहा है, हम इसका अनुमान लगा सकते हैं। जब बालात्कार, अपहरण की घटना होती है, तब उसका दोषी वह अकेला व्यक्ति नहीं होता है। बल्कि, पूरा समाज, फिल्म इंडस्ट्री, शिक्षा विभाग उसका दोषी है। जिन्होंने उसके चरित्र को बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई है। इस गरबा डांडिया रास उत्सव को बहुत सारे फिल्म के अभिनेता, अभिनेत्री, गायकों द्वारा प्रोत्साहन मिलता है, क्योंकि उनको उसका विज्ञापन प्रचार करने से बहुत सारा पैसा मिलता है। बहुत से युवा-युवती इनको अपना आदर्श मानते हैं, जो वास्तव में चरित्रहीन हैं। हमें इनके बहकावे में न आकर किसी प्रामाणिक व्यक्ति से परामर्श लेना चाहिए। आपके आदर्श भगवान राम होने चाहिए, न कि रावण । रावण एक व्यभिचारी था, जो सदैव दूसरों की स्त्रियों के साथ भोग-विलास करने की इच्छा रखता था। परंतु अन्ततः उस दुष्ट रावण का वध मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने अपने करकमलों से किया। जिसे लोग राम विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाते हैं। केवल रावण का पुतला जलाने से कुछ प्राप्त नहीं होगा, जब तक हम अपने अंदर छुपे इस काम, क्रोध, लोभ के रावण को नहीं मारेंगे। इस मायावी रावण से बचने का एक ही उपाय है, भगवान राम की शरण ग्रहण करना और उनके पवित्र नामों का जप करना, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण !
जय श्रील प्रभुपाद ।।
यहाँ कुछ सर्वे रिपोर्ट हैं, जिन्हें आप नीचे क्लिक कर पढ़ सकते हैं,
नवरात्र में डांडिया के पीछे छुपा यह काला सच
सुंदरपुरा गांव वडोदरा शहर से 8 से 9 किलोमीटर दूर है । अगर आप जंबूवा…
https://www.instagram.com/reel/ClDb1rgAAOH/?igshid=MDJmNzVkMjY=